पैसे नहीं थे पिता के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सका,पहले प्रयास में Upsc क्लियर किया
पैसे नहीं थे पिता के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच सका,पहले प्रयास में Upsc क्लियर किया
आज हम बात करने जा रहे है आईएएस रमेश घोलप की
आज हम बात करने जा रहे है आईएएस रमेश घोलप की
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर की जिम्मेदारी में हाथ बटाने के लिए शिक्षक के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया था
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर की जिम्मेदारी में हाथ बटाने के लिए शिक्षक के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया था
रमेश घोलप ने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए ने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी
रमेश घोलप ने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए ने 6 महीने के लिए अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी
उन्होंने 2010 में पहली बार यूपीएससी का प्रयास किया जिसमे असफल रहे
उन्होंने 2010 में पहली बार यूपीएससी का प्रयास किया जिसमे असफल रहे
जिसके बाद आर्थिक तंगी इतनी बढ़ गई की उनकी मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लेकर रमेश को पढाई के लिए भेजना पड़ा था
जिसके बाद आर्थिक तंगी इतनी बढ़ गई की उनकी मां ने गांव वालों से कुछ पैसे उधार लेकर रमेश को पढाई के लिए भेजना पड़ा था
बता दे रमेश ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की त्यारी किये थे
बता दे रमेश ने बिना कोचिंग के यूपीएससी की त्यारी किये थे
साल 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक कर 287 रैंक हासिल कर विकलांग कोटा के तहत रमेश घोलप आईएएस ऑफिसर बने
साल 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा क्रैक कर 287 रैंक हासिल कर विकलांग कोटा के तहत रमेश घोलप आईएएस ऑफिसर बने
रमेश 12वीं में पढाई कर रहे थे उसी दौरान पिता की निधन की खबर आई थी
रमेश 12वीं में पढाई कर रहे थे उसी दौरान पिता की निधन की खबर आई थी
वो उस समय वो चाचा के घर में रहते थे वंहा से अपने घर तक का किराया मात्र 7 रुपये लगता था और उनके पास मात्र 2 रुपये था
वो उस समय वो चाचा के घर में रहते थे वंहा से अपने घर तक का किराया मात्र 7 रुपये लगता था और उनके पास मात्र 2 रुपये था
All image Credit:Instagram
मॉडलिंग छोड़ बनी ias अधिकारी
मॉडलिंग छोड़ बनी ias अधिकारी