होली का इतिहास,महत्व,निबंध,कारण

होली का इतिहास,महत्व,निबंध,कारण

भारत को त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है। देश के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक होली है। यह त्योहार मार्च फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है। इस त्योहार को कई आकर्षक चमकीले रंगों और अबीरों के साथ मनाते हैं।लोगों का मानना ​​है कि होली के रंगों से सबके बीच की दूरी मिट जाती है। होली पर्व को देश के अनको राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से होली का इतिहास, होली का महत्व, राज्यों में होली कैसे मनाई जाती है, होली कब है और होली से जुड़ी कई अहम बातें बताने जा रहे हैं।

 

 

होलिका दहन का इतिहास

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होली मनाने के पीछे कई कहानियां और पौराणिक कथाये है। हिन्दू धार्मिक कथाएं/हिंदू मान्यता के अनुसार होली का त्यौहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। प्रचीन काल के अनुसार होलिका दहन का इतिहास काफी पुराना बताया गया है। बात उन दिनों की है जब धरती पर एक क्रूर दानव राजा हिरणकश्यप राज्य कर रहा था। वो इतना अत्याचारी घमंडी था की उनके अत्याचार से पताल लोक से स्वर्ग लोक तक सभी चिंतित, परेशान थे।

दानव राजा हिरणकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था जो भगवान विष्णु का बहुत बड़े भक्त थे वो भगवान विष्णु का पूजा-पाठ और उनके ध्यान में लीन रहते थे। वो हमेशा भगवान विष्णु का जाप करते रहते थे। ये सब हिरणकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं था।

वो चाहते थे उनका बेटा केवल उनके नाम का स्मरण करे। लेकिन प्रह्लाद को पिता की बातों का कोई फर्क नहीं  पड़ता। हिरणकश्यप प्रह्लाद के इस व्यवहार की वजह से उन्हें जान से मारने की कोशिश करने लगे। अलग-अलग तरीकों से प्रह्लाद को मारने की कई बार प्रयास किया  लेकिन उनका एक भी प्लान सफल नही हो सका।

अंत मे हिरणकश्यप बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका का सहारा लिया होलिका को वरदान प्राप्त था कि उन्हें आग से कोई नुकसान नहीं हो सकता है। भाई की आज्ञा का पालन करते हुये होलिका प्रह्लाद को लेकर आग मे बैठ गई। आग का प्रह्लाद पर कोई असर नही हुआ लेकिन होलिका जल कर भस्म हो गई। इस दिन के बाद होलिका की याद में लोग होलिका दहन के रूप में मनाते हैं लोग इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाते हैं।

 

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होली का महत्व

होली का त्यौहार देश की सबसे ज्यादा अबादी द्वारा मनाया जाने वाला पर्व माना जाता है। इस पर्व को देश के अनेको धर्मों के लोग मनाते हैं। होली पर्व का 300 साल से भी ज्यादा समय का इतिहास रहा है। होली के प्राचीन काल संस्कृतिक साहित्य में होने के अनेकों महत्व का वर्णन भी मिला है।

होली और फाल्गुन  महीने का महत्व आदिकालीन कवि सूरदास, विद्यापति, मीराबाई,कबीर और केशव जैसे महान लेखक ने होली का पसंदीदा विषय रहा है। महाकवि सूरदास ने होली पर 78 पद लिख चुके है।

होली के महत्व का वर्णन मुगलकाल के प्रसिद्ध राजा अकबर, शाहजहां और जँहागीर जैसे और राजाओ ने इस त्यौहार को अपने राज्य में बड़े धूमधाम के साथ मनाते थे। होली के त्योहार को भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन में सबसे ज्यादा दिनों तक मनाते हैं।

 

 

होली कब मनाया जाता है?

होली हिंदू धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार में से एक है। भारत में इस त्यौहार को सबसे ज्यादा राज्य मे द्वारा मनाया जाता हैं। होली पर्व को बसंत ऋतु में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा में मनाया जाता हैं। होली को ईसा 300 साल पुराने एक अभिलेख में भी इस त्यौहार को मनाने का उल्लेख मिला है। इसके अलावा सैकड़ों साल पुराने साहित्य में वसंत ऋतु फाल्गुन महीनों में होली मनाने का भी जिक्र किया गया है।

 

 

 

होली कैसे मनाया जाता है?

होली का पर्व साल पूर्ण चंद्रमा के दिन मार्च फाल्गुन महीने में मनाया जाता है। इस पर्व को धर्म,सचाई,खुशी और प्यार की जीत का त्यौहार के रूप में भी मनाते हैं।

होली पर्व के दिन लोग एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी को जाहिर करने के लिए हरे,पीले लाल जैसे और भी अनेकों चमकीले आकर्षक रंगों से खेलते हैं। इनके अलावा लोग अपने से बड़ों से आशीर्वाद और छोटे को अबीर लगाकर गले मिलते हैं। इस पर्व को और भी आकर्षक बनाता है बच्चे की पिचकारी और गुब्बारो मे रंग डाल कर एक दूसरे पर फेकना।

होली के दिन महिलाएं अपने अपने घरों में खास प्रकार की मिठाइयां और पकवान बनाते है। जैसे दही बड़े, नमकीन,मिठाई, पापड़ और भी अन्य प्रकार के पकवान मिठाईयां बनाती है और परिवार के साथ मिलकर खुशी खुशी खाते हैं।

रंग,अबीर खेलने के एक दिन पहले रात प्रचीन रिति रिवाज के साथ होलिका दहन करते हैं। सभी लोग ढोल के साथ गीत,भजन गाते हुये होलिका के चारो और परिक्रमा करते है होलिका दहन करते हैं।

 

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मथुरा और वृंदावन की होली

होली का त्यौहार एक प्रसिद्ध पर्व है जिसे देश के अनेकों राज्यों में अलग-अलग तरीके से लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं। जो इस प्रकार है:-

 

मथुरा और वृंदावन की होली 

मथुरा और वृन्दावन मे सबसे ज्यादा दिनों तक होली का त्योहार मनाए जाते हैं। यहां पर कुल 15 दिनों तक होली मनाते हैं। मथुरा और वृंदावन के अनेकों होली पौराणिक कथाएं और सैकड़ों वर्षो का इतिहास रहा है। ब्रज में रंग गुलाल का की होली, लठमार होली फूलों की होली, फूलों की होली जैसे होली होली प्रसिद्ध है। होली यहां के लोग भांग की कुट, भांग की छनाई, भांग की पिसाई और होली गीत गान डांस के साथ इस पर्व का आनंद लेते है।

 

बिहार की होली

बिहार में सदियों से होली बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है। मथुरा वृंदावन के बाद बिहार राज्य को सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाने वाला राज्य माना जाता है। बिहार में होली फागुआ के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। होली में यहां के लोग अपने घरों में खास तरह की मिठाइयां, पकवान बनाते हैं।

सदियों से लोग ढोल के साथ होली के गीत गाते और गुलाल रंग के साथ पूरे गांव में मंडली के साथ खूब नाचते थे। हालांकि आज के दौर मे बिहार के अधिकांश गांव शहरों के लोग ढोल की जगह इस रंगारंग त्योहार होली को डीजे की आवाज के साथ होली पर्व का आनंद लेने लगे हैं। जिससे सदियों से मनाई जा रही ढोल गीतों के साथ परंपरागत ढंग से होली पहले की तुलना मे काफी फीकी लगने लगी है।

इनसब के अलावा बिहार होली का एक और दिलचस्प हिस्सा जो वर्षों से चलता आ रहा है। जिसे जानना आपके लिये महत्वपूर्ण रहेगा। बता दें कि बिहार राज्य के लोगो के लिए सदियों से होली ने भाभी/भौजी के साथ रंग खेलना एक प्रथा सी बन गई है जिसका पालन लोग सालों से करते आ रहे हैं। इस प्रथा का प्रभाव रहा है कि होली के अधिकांश गीतों में भाऊजी का उल्लेख मिलता है।

 

गोवा की होली 

भारत का एक और राज्य गोवा है जहां के लोग होली के रंग बिरंगे पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाते चले आ रहे है। वहां के लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जुलूस निकाल कर इस त्यौहार को और भी ज्यादा खास बनाते है।

इन सभी राज्य के अलावा गुजरात,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश, हरियाणा राज्य में भी बड़े हर्षोल्लास के साथ होली के त्योहार को मनाते हैं।

 

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