आज के तारीख में जहां लोग शान शौकत पाने के लिए किसी भी काम को किसी हद तक करने के लिए तैयार हो जाते हैं ताकि वह अपने जीवन को आनंदपूर्ण बना सके लेकिन प्रोफेसर आलोक सागर इन सब से कोसों दूर थे। वह अपने शान शौकत जेसे जीवन को छोड़कर गरीबी में जीवन जीने की ठान ली और यह सब वह केवल समाज में सुधार लाने के लिए और पर्यावरण को फिर से वापस लाने के लिए किया।उनके पूरे जीवन में कई सारी घटना हुई जिसको जाने के बाद आप प्रोफेसर आलोक सागर के मुरीद हो जाएंगे। इस महान व्यक्ति के जीवन के बारे जानने के लिये इस लेख के साथ अंत तक बने रहें Alok sagar biography in hindi के साथ..
Who’s Alok sagar ?
TOC
आलोक सागर आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर (Electric Engineer)थे और दिल्ली में ही इनका भी जन्म हुआ था। जो आज आदिवासीयो की जिंदगी को जी रहे हैं।वह आदिवासि लोगो के बीच 33 वर्षों से रहकर उन्हें शिक्षा देने का काम करते हैं। तथा उन्हें प्रेरित करते हैं कि पौधे आप लगाएं।
आलोक सागर की जीवनी
प्रोफेसर आलोक सागर का जन्म 20 जनवरी 1950 को दिल्ली में हुआ था। उस समय उनके पिता आईआरएस ऑफिसर थे। जो की बहुत इज्जतदार पद होता है। तथा उनकी माताजी दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक शिक्षक का कार्य करती थी। बचपन से ही आलोक सागर जी पढ़ाई में बहुत ही अच्छे थे। उनका जीवन काफी आनंदित रूप से चल रहा था वह अच्छी नौकरी भी पा चुके थे प्रोफेसर की उसके बाद
जब वह प्रोफेसर बने IIT DELHI के तब वह समाजसेवी संस्थाओं के संपर्क में आए और उनसे यह जानने कि कोशिश की जरूरतमंद लोगों की मदद कैसे की जाती है। तब से वह उन्हीं को अपना सपना बना लिया कि मुझे अपनी पूरी जिंदगी में बस लोगों की मदद ही करनी है। अपनी इस मंजिल को पाने के लिए उन्होँने इस शान शौकत और इतनी मेहनत लगन से प्राप्त की गई प्रोफेसर की नौकरी को छोड़कर उन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने का निश्चय किया और जगह-जगह जाकर लोगों की मदद करने लग गए। इतना ही नहीं उन्होँने लोगों की मदद करते-करते वह अपने घर माता-पिता को भी छोड़ अपने जीवन को एक साधु की तरह जीने लगे।
आलोक सागर का परिवार |Professor Alok sagar family details
उनके पिता का नाम तो ज्ञात नहीं पर वह सीमा व उत्पाद शुल्क विभाग में कार्यरत थे। उनका एक भाई है अंबुज सागर वह आलोक सागर की तरह दिल्ली आईआईटी में प्रोफेसर के पोस्ट पर कार्यरत हैं । दो बहने हैं दोनों बहने भी एक बड़े पोस्ट पर कार्यरत हैं।
Professor Alok sagar education career
उन्होंने आईआईटी दिल्ली(IIT Delhi)से 1971 में बीटेक( B.tech) की पढाई पूरी की और वही से 1973 में एमटेक( M.tech)पूरा की फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह 1977 में अमेरिका के हॉस्टन में स्थित राइस यूनिवर्सिटी गए जो अमेरिका की टॉप 50 इंस्टिट्यूट में एक थी। यहां से उन्होँने अपनी PHD की पढ़ाई पूरी की।
आलोक सागर IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की है।इसके बाद 1977 में वे यूएस गए, जहां ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से रिसर्च की डिग्री ली। इस बीच उन्होंने डेंटल ब्रांच में पोस्ट डॉक्टरेट और समाजशास्त्र विभाग, डलहौजी यूनिवर्सिटी (कनाडा) से फेलोशिप भी की।
वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद 1980 में IIT दिल्ली में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। जहां वो प्रोफेसर बने और शिक्षा देने का काम शुरू किया लेकिन इनका मन यहां ज़्दा दिन तक नहीं लगा। इस वजह से वो इस प्रोफेसर की नौकरी को छोड़ दिये।
Professor IIT alok sagar Social work
उन्होंने समाजसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर कई जगह काम किए उनमें उत्तर प्रदेश के कई जिले के आलावा उनके बारे में सबसे अधिक पता मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के कोचमहू गांव से पता चलता जहां वह पिछले 28 साल से आदिवासियों के बीच एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके पास पहनने के लिए मात्र 3 कुर्ते एवं एक टायर की बनी चप्पल और एक साइकिल है। इन्हीं साइकिल से वह इन ग्रामीणों के बीच प्रतिदिन जाकर लोगों को पढ़ाई के प्रति, शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं। तथा पढ़ाने का कार्य करते हैं। एवं पेड़ लगाने के बीज बांटते हैं और पौधों को लगाने के विषय में लोगों को प्रेरित भी करते हैं। आज इनके द्वारा उठाए गए इस कदम में बेताल जिले के कोचमहू गांव के आसपास 50 हजार से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं। इनके साथ ही वह उन आदिवासियों की हर परेशानी में वह उनके साथ रहे हैं। मजदूरी ना मिलने पर या देरी होने पर या किसी विकास के मुद्दे पर वह कई बार धरने पर भी बैठ चुके हैं।
प्रोफेसर आलोक सागर की पहचान कैसे हुई?
एक बार जिस राज्य मे रह रहे थे वहा पर चुनाव का माहौल था। तब कुछ पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ा और पूछा, आप तो यहां के रहने वाले नहीं हैं। पुलिस ने कहा आप कौन हैं इनकी जानकारी हमें थाने में आकर देनी होगी, नहीं तो हम आप पर कार्रवाई करेंगे।तब उन्होंने अपने सारे डॉक्यूमेंट को लेकर थाने मे दिखाया और वहां के अफसरों ने ये देखा तो सब हैरान रह गए कि इतने महान व्यक्ति इन आदिवासियों के बीच रह कर दुखों मे अपनी जीवन कैसे व्यतीत कर रहे हैं। उसी दिन पता चला पूरी दुनिया को प्रोफेसर आलोक सागर कैसे बना समाज सेवक और उनकी उपलब्धियों के बारे मैं।
Alok sagar About facts and more
- इतने सालों से वह गांव के लोगों के बीच कार्य कर रहे थे लेकिन किन्ही को वो अपनी असल जींदगी के बारे में नही बताया था।
- जब वह आईआईटी दिल्ली में प्रोफ़ेसर थे। वो कई विद्यार्थी को शिक्षा दी थी।उन्हीं के बीच एक उनका चेला (छात्र) रघुराम राजन भी था। जो भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (R.B.I) के 23वें गवर्नर बने।जिनका कार्यकाल 2013 से 2016 तक रहा।
- एक बार चुनाव का माहौल था। तब कुछ पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ा और पूछा, आप तो यहां के रहने वाले नागरिक तो नहीं है। पुलिस ने कहा आप कौन हैं। इनकी जानकारी हमें आपको थाने में आकर देनी होगी नहीं तो हम आपको जेल में डाल देंगे उन्हें मजबूरन अपने उपलब्धि के सारे डॉक्यूमेंट सबूत के तौर पर लेकर थाने गए और वहां के अफसरों को दिखाया उनकी इतनी बड़ी उपलब्धि को देखकर सारे पुलिसकर्मी अधिकारी हैरान रह गए।
- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के कोचमहू गांव से पता चलता है कि वह पिछले 28 साल से आदिवासियों के बीच एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।
- आलोक सागर वहां के लोगों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश राज्य के बेताल जिले के कोचमहू गांव के आसपास 50,000 से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं।
Alok Sagar networth
इनके पास पहनने के लिए मात्र 3 कुर्ते एवं एक टायर की बनी चप्पल और एक साइकिल है।
FaQ
आलोक सागर की उम्र कितनी है?
प्रोफेसर आलोक सागर की उम्र 72 वर्ष है।
प्रोफेसर आलोक सागर का जन्म कहां हुआ था?
प्रोफेसर आलोक सागर का जन्म 20 जनवरी 1950 को दिल्ली में हुआ था।