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RRR movie real story in hindi | SitaRama Raju & Komaram Bheem real story

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RRR movie real story in hindi | SitaRama Raju & Komaram Bheem real story
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यह कहानी है भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीता रामा राजू और कौमाराम भीम के बारे में यह कहानी है भारत के दो वीर योद्धाओं के बारे में जिन्होंने अपने देश की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों और हैदराबाद के निजाम से लड़े और वीरगति को प्राप्त हुए ।

दोस्तों हमारा देश भारत को आजादी तो 15 अगस्त 1947 को मिली मगर लेकिन इससे पहले लगभग 100 सालों तक मुगल और अंग्रेजों ने शासन किया। इस दौरान बाहर से आए इन लुटेरों ने देश को लूटा और देश की संस्कृति को बर्बाद करने की कोशिश भी की। जहां मुगलों ने भारत में फूट डालकर बर्बर लुटेरों की तरह इस देश की संस्कृति शोर्य और इतिहास को बर्बाद करने की कोशिश की , वही अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था भारतीय संस्कृति और भारत के स्वर्णिम इतिहास को मिटाने की भी पुरी कोशिश की थी।

 

हम लोग भारत के लिए वीरगति को प्राप्त होने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बहुत कम जानते हैं और अगर यही चलता रहा तो हमारे आने वाली पीढ़ी कहीं उन्हें भूल ना जाए । दोस्तों बॉलीवुड हमेशा से भारतीय संस्कृति और इसके स्वर्णिम इतिहास को झूठ लाता आया है। मगर साउथ के दिग्गज डायरेक्टर एसएस राजामौली ने भारतीय संस्कृति और इतिहास पर बाहुबली के बाद अपनी नई सबसे बड़ी फिल्म आर आर आर को रिलीज करने वाले हैं.

 

इस फिल्म में भारत के 2 स्वतंत्र सेनानी महान अल्लूरी सीतारामा राजू और कोमाराम भीम की कहानी दिखाई जाएगी । यह एसएस राजामौली कैरियर का सबसे बड़ा बजट का फिल्म है । इस फिल्म का प्रोडक्शन वैल्यू 400 करोड़ है और इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी दिखाने के लिए इस फिल्म में कितनी मेहनत की गई है। अल्लूरी सीतारामा राजू और कोमाराम भीम के बारे में तमिलनाडु और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज बहुत कम जानते हैं और यह बेहद जरूरी है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में हमारी नई पीढ़ी  को भी पता चले।

आज इस ब्लॉग में आप जानेंगे: अल्लूरी सीतारामा राजू और कोमाराम भीम की रियल लाइफ स्टोरी

 

 

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अल्लूरी सीतारामा राजू का जीवन परिचय। Alluri Sitarama Raju biography in hindi

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अल्लूरी सीतारामा राजू भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी हैं । इनका जन्म 4 जुलाई 1897 को विशाखापट्टनम के पॉन्ड्रिक गांव में हुआ था । अल्लूरी सीतारामा राजू के पिताश्री का नाम वेंकटरामराजू और माताश्री का नाम सूर्यनारायणअम्मा था। बचपन मे अल्लूरी सीतारामा राजू के पिता वेंकट रामा राजू की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद अल्लूरी सीतारामा राजू अपने चाचा रामकृष्णन राजू के साथ पश्चिम गोदावरी जिले में नरसापुर गांव में रहने लगे । चाचा रामकृष्णन राजू पेशे से एक तहसीलदार थे और इन्होंने ही अल्लूरी सीतारामा राजू की बचपन में देखरेख की। चाचा ने बचपन से सीताराम को देश भक्ति और देश प्रेम की भावना सिखाया करते थे उन्होंने हमेशा सीतारामा को कहा कि अंग्रेज भारत को लूट रहे हैं और हमें इनसे अपना देश वापस लेना है। चाचा ने सीतारामा राजू की नरसापुर में टेलर हाई स्कूल में दाखिला करवा दी ।

अपनी स्कूल की पढ़ाई पुरी करने के बाद अल्लूरी सीतारामा राजू अपनी मां और बहन के साथ तुली चले गए और वहां वे अपने आसपास के लोग से मीले उनकी जरूरत और विचार को समझा । मगर अपनी मां के कहने पर सीतारामाराजू अपने नानी के घर विशाखापट्टनम चले गए और वहां उन्होंने श्रीमती एवीएन कॉलेज में उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए दाखिला ली । अल्लूरी सीतारामा राजू का मन पढ़ाई में नहीं लगता था । उन्होंने वेद , ज्योतिषी और करिश्माई जादू कोशिका पढ़ें इसी कारण से आस-पास के गांव और आदिवासी क्षेत्रों में अल्लूरी सीतारामा राजू को लोग जानने लगे।

 

कॉलेज की परीक्षा मे फेल हो जाने के बाद इन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया और उसके बाद इन्होंने कृष्ण देवी पीठ में ध्यान लगाकर एक साधु की जीवन जीने लगे। यह समय उस समय की बात हे जब असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था । सीतारामाराजू महात्मा गांधी जी के सोच से बेहद प्रभावित हुए हैं और उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ युवाओं को क्षेत्र के लोगों को एकजुट किया और असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने को कहा। मगर जब 1 साल के बाद असहयोग आंदोलन का कोई परिणाम नहीं निकला तब अल्लूरी सीतारामा राजू ने गांधी जी के विचारधारा को त्याग दिया और एक क्षत्रिय के रूप में रंपा क्षेत्र के सभी युवाओं और आदिवासियों को एकजुट कर एक स्वतंत्रतासैनी संगठन की स्थापना की ।

 

इसके बाद उन्होंने मालाबार के स्थानीय लोगों की मदद से मालाबार की जंगलों में रहने लगे और अपने सैन्य संगठन को गोरिल्ला तकनीक से लड़ने को सिखाना शुरू किया । अंग्रेजों से तीर कमान से लड़ना अपनी लोगों की जान को जोखिम में डालने जैसा था और इसी वजह से अल्लूरी सीतारामा राजू ने डॉक्टर डालना शुरू किया और वहां से आए धन से नई तकनीक के हथियार को खरीदना शुरू किया । अपने सैनिकों के साथ मिलकर उन्होंने सबसे पहला हमला चिंतापल्ली पुलिस थाना पर किया और हथियार लूट लिए । इसके बाद तो मानो पुलिस थानों की कयामत सी आ गई और एक के बाद एक दर्जनों पुलिस थाने को लूट कर उनके हथियार को अपने कब्जे में ले लिया ।

 

अल्लूरी सीतारामा राजू और उनके सैनिकों कि इस एकता और वीरता को देखते हुए अंग्रेजी सरकार परेशान हो गई और अपने कई प्रयास के बाद भी उन्हें अल्लूरी सीतारामा राजू और उनके सैन्य संगठन के खिलाफ कोई भी सफलता हासिल नहीं हुआ । इसके बाद सरकार ने ईस्ट कोस्ट स्पेशल फोर्सेस की मदद ली और एक एक करके पहले अल्लूरी सीतारामा राजू के सैन्य संगठन के प्रमुख लोगों को पकड़ा और उन्हें वीरगति को प्राप्त होना पड़ा । इसके बाद अल्लूरी सीतारामा राजू को भी पकड़ लिया गया औररंपा में गोदावरी नदी के किनारे उनके शरीर पर दर्जनों गोलियां दागी गई । अल्लूरी सीतारामा राजू तो शहीद हो गए मगर आज भी उस क्षेत्र में उन्हें देवता की तरह पूजा जाता है ।

 

 

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कोमाराम भीम का जीवन परिचय। Komaram Bheem Biography in hindi.

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कोमाराम भीम भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं जिन्होंने हैदराबाद के निजाम मनमौजी नियम और आदिवासियों के साथ गलत बर्ताव के खिलाफ आवाज उठाई और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए । कोमाराम भीम के बारे में तेलंगाना छोड़कर भारत के अन्य हिस्सों में लोगों को कम पता है। इसका कारण यह है की इन पर लिखी गई ज्यादातर लेख तेलुगु भाषा में है । कोमाराम भीम का जन्म 22 अक्टूबर 1901 को तेलंगाना के अधीर आबाद जिले में हुआ था। इन्होंने 1940 में जल जंगल और जमीन का नारा दिया था । इसका मतलब है जंगल से जुड़े जमीन जल और अन्य चीजों पर आदिवासी का हक है ।

 

कोमाराम भीम ने किसी प्रकार का स्कूली शिक्षा नहीं ली थी । उन्होंने अपने समाज के बीज रखकर अपने समाज के प्रति परेशानियों को देखा और उसे समझा । उस वक्त अंग्रेजी सरकार और हैदराबाद के निजाम के द्वारा आदिवासी समाज पर बहुत जुल्म किया जाता था और उनसे ज्यादा टैक्स लिया जाता था । इसके खिलाफ कोमाराम भीम और उनके साथियों ने आवाज उठाई और इसी बीच सिद्धकी नामक एक व्यक्ति जो आदिवासी समाज से जबरन टैक्स वसूली के लिए आया था उसे कुमाराम ने मार गिराया ।

 

इस घटना के बाद कोमाराम अपने साथी कुंडल के साथ क्षित्रपुर चले गए । चित्र पूर्व में एक प्रिंटिंग प्रेस था जो अंग्रेज और हैदराबाद निजाम के खिलाफ अपने अखबार के मदद से आवाज उठाया करता था । प्रिंटिंग प्लेस के मालिक बिडोबा के साथ रहकर कोमाराम भीम ने हिंदी उर्दू और अंग्रेजी सीखें और फिर वह असम चले गए जहां वह चाय के बागान में काम करने लगे । 4 साल तक बागान में काम करते वक्त वह चाय बागान के मालिक के खिलाफ आवाज उठाने लगे क्योंकि वह बागान में काम करने वाले लोगों की मांग नहीं सुनता था । इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 4 दिनों के बाद वे जेल से निकलकर चंद्रपुर आ गए ।

 

कोमाराम भीम सीताराम राजू से बहुत प्रभावित थे और उन्हीं से प्रेरणा लेकर वे अपने गांव के युवाओं के साथ मिलकर हैदराबाद के निजाम के खिलाफ हथियार  उठाने को तय किया । कोमाराम भीम ने सीताराम राजू से प्रेरणा लेकर गोरिला तकनीक के मदद से हैदराबाद के निजाम से लड़ने को तैयार हो गए । उन्होंने आदिवासी क्षेत्र को एक स्वतंत्र गोंडवाना राज्य बनाने का ऐलान किया । कोमाराम भीम के प्रभाव को देखते हुए हैदराबाद के निजाम ने प्रस्ताव को मान लिया मगर फिर गोमाराम ने उसे स्वतंत्रता संघर्ष के रूप में लेते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया । कोमाराम भीम ने हैदराबाद के निजाम को गुंड छोड़ने को कहा मगर निजाम नहीं माना और आदिवासियों पर अपनी प्रताड़ना जारी रखी ।

 

हैदराबाद के निजाम ने कोमाराम भीम को मारने के लिए अपने सैनिकों को भेजा मगर हुए इसमें असफल रहे । इसके बाद उन्होंने कोमाराम भीम के संगठन के एक व्यक्ति को पैसे देकर अपना मुख वीर बना लिया और सन 1940 के एक सुबह हैदराबाद के निजाम के सैनिकों ने गांव पर हमला किया और कौमाराम को जब यह पता चला तो उन्होंने बस अपने दर्जनों साथियों के साथ अपनी वीरता का प्रमाण देते हुए लड़े और शहीद हो गए । कोमाराम के बारे में यह अफवाह था कि वह काला जादू जानते हैं और इसी कारण पुलिस वालों ने उनके मरने के बाद भी उनके शरीर पर दर्जनों गोलियां दागी । कोमाराम और उनके 15 साथियों को उनके परिवार को ना सौंपते  हुए उन्हें जला दिया गया । कौमाराम और उनके साथियों को आज भी आदिवासी समाज देवता के रूप में पूजते हैं ।

 

दोस्तों यह कहानी थी भारत के 220 स्वतंत्रता सेनानी कोमाराम भीम और अल्लूरी राजा रामा राजू के बारे में । इन पर भारत की सबसे बड़ी बजट की फिल्म बन गई है आप अपने परिवार और बच्चों को यह फिल्म जरूर दिखाएं ताकि उन्हें पता चले कि भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने किस प्रकार से हमारे देश को आजादी दिलाई है।

 

 

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image credit: Instagram

आर आर आर फिल्म का दर्शकों को बेहद बेसब्री से इंतजार है । इस फिल्म में साउथ के सुपरस्टार रामचरण और एनटीआर के साथ बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन मुख्य भूमिका में हैं । इस फिल्म के डायरेक्टर बाहुबली जैसे मेगा हिट फिल्म देने वाले एसएस राजामौली है। दरअसल हुआ यह की कोमाराम भीम असल में हैदराबाद के निजाम के खिलाफ लड़े थे और उसी से लड़ने के दौरान उन्हें वीरगति प्राप्त हुआ । कोमाराम भीम हैदराबाद के निजाम और इस्लाम के नियमों के खिलाफ थे मगर आर आर आर फिल्म के मोशन पोस्टर में कोमाराम भीम को मुस्लिम किरदार में दिखा दिया गया है । इसी से आदिवासी समाज और कोमाराम भीम के फॉलोअर्स फिल्म के डायरेक्टर और निर्देशक पर सवाल खड़े कर रहे हैं और फिल्म से सिन को हटाने की मांग की जा रही है ।फिल्म का अभी तक ट्रेलर्स लांच नहीं हुआ है इसलिए यह बताना बिल्कुल सही नहीं है कि उस चीन का मतलब क्या निकलता है ।

 

 

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एस.एस राजामौली की ब्लॉकबस्टर फिल्म बाहुबली से दुगुनी बजट में बन रही फिल्म RRR (राइज रौर रिवोल्ट) को 13 अक्टूबर 2021 को तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और हिंदी भाषा में रिलीज की जाएगी । इस फिल्म मे साउथ के सुपरस्टार जूनियर एन.टी.आर और रामचरण दो भारतीय बहादुर स्वतंत्र सेनानी कोमाराम भीम और सीतारामा राजू के किरदार में दिखने वाले हैं। इन दोनों सुपरस्टार के अलावा बॉलीवुड के सिंघम अजय देवगन और अभिनेत्री आलिया भट्ट भी नजर आएगी। इन भारतीय कलाकार के अलावा कई विदेशी कलाकार भी इस फिल्म मे अभिनय करते दिखेगे। RRR फिल्म का बजट लगभग ₹400 करोड़ बताई जा रही है। इस फिल्म को एस.एस राजामौली डायरेक्ट कर रहे हैं.

 

Director S. S. Rajamouli
Music Director M. M. Keeravani
Language Telugu
Movie Cast N. T. Rama Rao Jr., Ram Charan, Alia Bhatt, Olivia Morris, Ray Stevenson, Alison Doody, Samuthirakani, Spandan Chaturvedi, Chatrapathi Sekhar, Ajay Devgn (cameo) and Shriya Saran (cameo),
Movie Types Action, Drama Film